आज तुम्हें गुलाब नहीं दूंगा मैं!
#RoseDay
मोहब्बत कोई बंधन नहीं है…
मैं तुम्हें बाँधना नहीं चाहता।
मेरे विचार में बाँध देने से मोहब्बत मोहब्बत नहीं रहती।
ऐसा नहीं कि बँधन में रहते हुए स्वच्छंद नहीं रहा जा सकता परंतु प्राय: ऐसा बंधन कम ही देखने को मिलता है।
मैं तुम्हें बाँधना नहीं चाहता, मैं चाहता हूँ मेरे साथ तुम खुल जाओ।
वो सभी बातें, वो सभी किस्से जो मन के कुएँ के भीतर पानी के नीचे मिट्टी की सतह के नीचे दबे हो…मैं चाहता हूँ उन्हें मुझसे साझा करने में तुम्हें किसी झिझक की अनुभूति न हो।
मैं तुम्हें बाँधना नहीं चाहता रस्मों से।मुझे ऐसा लगता है
प्रेम दर्शाने का कोई तरीका निर्धारित नहीं होता और अगर कभी ऐसा हो तो वो महज़ एक रस्म न बन कर रह जाए।
नहीं…मैं रोज़ डे, प्रपोज़ डे…फलानां..ढीमकाना डे के ख़िलाफ़ नहीं..
अंतोगत्वा इन सभी दिवसों का तात्पर्य बस तुम्हारे साथ कुछ पल बिताने से ही तो है।
मैं तुम्हें बाँधना नहीं चाहता क्यूंकि मैंने महसूस किया है स्वच्छंदता का आनंद।
मन की प्रसन्नता के अनुकूल जो काम किए जाते है उनमें आनंद चरम पर होता है।
तुम्हें रोज़ डे पर गुलाब न देने का मतलब ये नहीं कि ये क्रिया मुझे आनंद से वंचित करती है…
परंतु जो काम सभी कर रहे है..वो मैं भी करूँगा..
तो तुम कैसे कह पाओगी..
“सबसे अलग हो तुम”
मैं जानता हूँ ये सब कहने की आवश्यकता ही नहीं थी मुझे।
तुम समझती हो ये सभी बातें और वो सब भी जो मैंने कही नहीं।
लेकिन तुम्हारे कुछ पल चुराने को ये गुस्ताखी कर रहा हूँ।
Ahaaa… ❤️❤️❤️
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