उसके मानस पटल पर संघर्षों की चोट थी,
उसकी हिम्मत बुरी तरह से ज़ख्मी थी,
उसका साहस टूट चुका था,
आशाओं का उबलता रक्त जम चुका था,
सो आँखों में आता न था,
वो थम चुका था, रूक चुका था!
किंतु इनमे से कोई या ये सब मिलाकर भी,
उसकी मृत्यु का कारण नहीं थे!
परीक्षण में पाया गया-
उसका मस्तिष्क नकारात्मकता से विषाक्त था।
विष की मात्रा बहुत अधिक नहीं थी पर विष का असर
बहुत ज्यादा था।
जानकारों की राय में सकारात्मकता की एक बूंद से वो बच सकता था। पर समय पर न ही वो, न ही कोई और ये दवा दे सका।
ये आत्मघात और क़त्ल का अद्भुत नमूना था।
#Nkpenning
क्या ही खूब लिखा है
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