दस्तूर ही सही कि ख़्यालों की नुमाइश होनी चाहिए
ज़ेहन में लफ़्ज़ों की मगर आज़माइश होनी चाहिए!
कह न सको जो ख़ुद तो कहलवा ही दो किसी से,
रिश्तों में यार इतनी तो सदा गुंजाइश होनी चाहिए!
तेरे बाद ये भी अब उलझन है कि दुआओं में,
माँगा भी जाता नहीं जिसकी फरमाइश होनी चाहिए!
मेहनताना ख़्वाहिशों का हद से ज्यादा है तो फिर,
सुकून-ए-ज़ीस्त की क्यूँकर पैमाइश होनी चाहिए!
बेअदबी तो हर एक शहर का ही सलीक़ा हो गयी “नितिश”,
सोचते है अब दूर सबसे कहीं रिहाइश होनी चाहिए!
Awesome!!
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बहुत खूब👌👌👌👌👌
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