वैराग से यदि अनुराग रहेगा,
क्या वैराग, वैराग रहेगा?
है बारीक़ पर अंतर तो है
निर्मम और निर्मोही में!
ज्यादा नहीं तो कुछ यों जैसे,
आतंकी विद्रोही में!
अर्थ-भेद जो समझे ये तुम,
सार समझ तब आएगा!
है मगर ये ज्ञान क्षणिक ही,
आर्त अर्थ भरमाएगा!
(आर्त-पीड़ा, अर्थ- भौतिक द्रव्य)
संभलें हम कि डगर कठिन है,
रस्ता सौ सौ बार मुड़ेगा,
विरक्ति का जो दंभ हुआ तो,
अहंकार भी साथ जुड़ेगा,
जुड़ने का ही तो भय खाते हैं,
कहाँ किसे आराम मिलेगा?!
तोड़े जिसने सब जग नाते,
नीरस, जोगी कहलाता है!
पर कटा पेड़ तो फल नहीं देता,
सड़कर गलकर मर जाता है!
अत:
सम्यकता ही मार्ग नेक है,
उन्मुक्त जीवन मंज़िल तक,
चप्पु मुस्कानों के खेंचों,
खेवों नाव को साहिल तक!
पा जाओगे जिसकी चाह है,
बिना किये किनारे भी,
देखों क्षितिज पर मिल ही जाते,
धरती और सितारे भी!
#Nkpenning
Sundar!👌
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Bahut Shukriya:)))
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….बारीकियाँ जो हैं छोटी हैं पर विचारणीय हैं
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