नाम लिया और सलीक़ा छोड़ दिया,
स्वाद ज़ुबां पर उसने फीका छोड़ दिया
आते आते हिचकी हलक में रूक गयी,
याद आने का हमने तरीका छोड़ दिया
हँसी, मोहब्बत, अल्हड़पन औ बेबाकी
जो कुछ भी था तुमसे सीखा छोड़ दिया!
तुम बड़े हो सो तुम पर भी लाज़िम है,
लड़ना हमने तो बेवज़ह ही का छोड़ दिया!
दाइम नहीं दहर में यूं भी कुछ “नितिश”
क्यूं सफ़्हों पे नाम लिक्खा छोड़ दिया!
#Nkpenning
अद्भुत रचना
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Deserves admiration 👍
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Many Thanks Meenakshi ji 🙂
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