तुम्हें कब पड़ी है?
जो तुम जान सको..
दर्द का होना क्या है?
बात-बेबात का रोना क्या है?
साँस की ज़ुबां क्या है?
आँख की फ़ुगां क्या है?
फूल का खिलना क्या है?
किसी से किसी का मिलना क्या है?
ख़्वाब की कीमत क्या है?
ज़ेब की हक़ीकत क्या है?
तुम्हें कब पड़ी है..
तुम्हें आदत है मग़र महफिल सजाने की!
तुम्हें चाहत है सभी को किस्से सुनाने की..
मग़र जो शब्द में बंद है..
वो अहसास क्या है?
जो छिपा बैठा है ये,
दिल के पास क्या है?
कारोबार-ए-हस्ती में,
नफ़ा क्या है ज़ियाँ क्या है?
अश्क क्या है, आह क्या है?
तुम्हें कब पड़ी है!
जो तुम जान सको..
#नितिश #Nkpenning
वाह
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