देखता हूँ हक़ीकत कि ख़्वाब देखता हूँ?
टूटी टहनी पर खिला गुलाब देखता हूँ..!
वो ख़्वाब जिनको देखा नहीं अब तक मैंने
वो उन्हीं ख़्वाबों को देखे ये ख़्वाब देखता हूँ…
ये दिल्लगी आवारा न बना दे मुझको..
ज़रा फ़ुर्सत से इश़्क का निसाब देखता हूँ..
लम्हे घटते हैं मगर यादें बढ़ी जातीं हैं
वक़्त का ये दिलचस्प हिसाब देखता हूँ..
जिसको पढ़ते हुए उसकी छलक जाए नज़र
ख़ुद को उन हाथों में लर्ज़ां किताब देखता हूँ..!
#नितिश