पेशतर कुछ ज़िंदगी तुझसे कलाकारी आ गयी..
ऐसे निबाह करी ख़ुद से कि अदाकारी आ गयी..!
मुंतज़िर नहीं हम तेरे, न तेरी ख़्वाहिश हमें…
वक़्त की फ़िर क्यूं ये हिस्से बेलदारी आ गयी..!
सीखना है अब ये कैसे करना है किसका हिसाब,
मेरे जिम्मे में ये कैसी सूबेदारी आ गयी..!
ज़िक्र छिड़ा महफिल में तेरा, हम भी रस्मन हँस दिए…
काम बड़ी,यार हमारे, दुनियादारी आगयी..
ज़ख़्म तो अपने दिल में था, दुखन बदन में जा बैठी…
दर्द को हमारे देखो तबीयतदारी आ गयी…
#नितिश
अब हमको भी दुनियादारी आ गयी
वाह
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बेहद उम्दा
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Bahut Shukriya:-)
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