मत पूछो क्या चाँद हुआ, क्या सितारा रह गया…
नींद मुकम्मल हुई मगर इक ख़्वाब अधूरा रह गया..!
वो तो मेरे साथ ही महफिल से उठके आया था..
गो मगर ये क्या राह में, मैं क्यूं तनहा रह गया..?
मैं सदा देता था…तो वो भी, सुनता था मेरी सदा…
सानेहा ये क्या..कि अबकी, मैं बस कहता रह गया..!
कभी हथेलियों के आइनें में दिखता था हँसता हुआ…
वो जो तुम्हारी डायरी का, बन के पन्ना रह गया..!
उंगलियाँ मेरी,दिए की लौ सी तब लगी मुझे…
तेरा दिया वो फूलजब हाथों में जलता रह गया..!
सोचता हूँ फ़ुर्सतो में कर ही दूँ इसका हिसाब,
देखूं आखिर कितना मुझमें और क्या क्या रह गया..!
#नितिश
Nice👌👌
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Very nice..
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दिल का दर्द लफ़्ज़ों से बयान हो गया
अब इसके अलावा दिल में क्या रह गया???!!!
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