सातवीं क्लास में बतलाया था टीचर ने,
चाँद पर गुरूत्वाकर्षण धरती के गुरूत्वाकर्षण का
एक बटा छ: भाग हैं!
अर्थात यहाँ के मुकाबिल वहाँ हर चीज़ हल्की होती है।
मैं सोचता हूँ-
बातों का वजन कितना होगा वहाँ?
क्या बात कही और सुनी जा सकती है वहाँ..?
ध्वनि को भी तो माध्यम की आवश्यकता होती है!
चाँद को साँस लेने को भी हवा नहीं हैं वहाँ…
कही गयी हर बात ही वहाँ हवा हो जाती होगी…
पर कहाँ जाती होगी🤔?
पाँचवी क्लास के साइंस के पीरियड में
बतलाया था यदुवंशी मैम ने,
चाँद की अपनी कोई रौशनी नहीं होती!
उधार की रौशनी से चमकता है वो…
क़र्ज़ें में डूबे इस बेबस को चाकरी मिली भी तो…
चक्कर लगाने की..वो भी जीवन भर की..!
तुम्हारी रौशनी तो मगर तुम्हारी अपनी है!
तुम स्वच्छंद हो..!
हवा तुम्हारे साथ बहती है..
तुम सुन लेती हो मेरी वो हर बात,
जो मैंने कभी कही ही नहीं…
और वो किस्से भी
जिन्हें शब्दों में कह दूँ तो वो अपना मतलब ही खो दें..!
मेरी बातों का वजन तुम पर बृहस्पति से भी ज्यादा पड़ता है…तुम..तुम जान लेती हो कि मेरी चुप्पी बेवजह नहीं होती…
मेरे ज्यादा बोलने के भी सब मतलब पता है तुम्हें..!
तुम्हें जाने बिना तुम्हें क्या ही कह सकता था मैं…
पर तुम्हें जानने के बाद…
तुम्हें चाँद कहने की भूल नहीं करूंगा मैं..!
#नितिश
Waah… Bohat hi badhiya
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:))) धन्यवाद J ☺️🙏🏻
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अद्भुत रचना
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धन्यवाद 🙏🏻☺️
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Nice, you should share it on Nojoto
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Sure, brother.
Thank you for reading.
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Bhot khoobsurat likha aapne👌👌
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और वो किस्से भी
जिन्हें शब्दों में कह दूँ तो वो अपना मतलब ही खो दें..!
बहुत खूब sir…
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Shukriya :)))
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bahut badiya
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