ज़मीन आबला-पाई करे है,
बाद-ए-मुख़ालिफ़ बहा करे..
हिंद को “जय हिंद” करने की खातिर,
वो जब़्त सोज़-ए-निहां करे…
ज़मीन की सूरत को तरसता बादल,
कैसे हिकायत कहा करे…
बेफ़िक्र जमीं-ए-वतन को कर के,
वो कूचा-ए- बहिश्ता रहा करे…
ज़िंदगी महफूज़ जमीं पे है कि
आसमां पर निगेहबां रहा करे..
माटी जिनमें ढल हो गयी अमर,
ख़ुदा बारहा उनपे निगाह करे..!
नमन🙏🏻
#AirForceDay #8th October
#नितिश