इख़्तियार पर इख़्तियार होना चाहिए था,
तुम्हें मुझसे प्यार होना चाहिए था..
चाँद तन्हा फिरता रहे कब तक यहाँ वहाँ,
चाँद का भी कोई यार होना चाहिए था..
आँखों की झेलम लूट गयी गालों तलक,
इस दरिया पर कोई पहरेदार होना चाहिए था..
वो दर पर खड़े हैं और हँस रहा हूँ मैं,
इस वक़्त तो मुझे बीमार होना चाहिए था..
चले आए बेढंग ही तेरी बज़्म में,और सोचते हैं,
Beautiful!!
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