यादों की अलमारी को जब खोला तो पाया..कि पहनने को यहाँ कुछ भी नही है मेरे पास
कुछ स्वेटर सरीखी ख्वाहिशे है..
छुपी हुई थी जाने कब से…
ढूँढा बहुत..कहीं मिली नहीं..
मै उधार का स्वेटर पहने घूम रहा हूं..
उम्मीदों की बोझ का एक कोट है..
ईक रोज झुंझला कर उतार दिया था इसे
उस वक्त जिंदगी का बोझ कुछ हल्का लगा था मुझे….
ऐसे कई कोट अलमारी मे अपनी जगह ढूंढ रहे हैं अब…
मेरी फेव पिंक शर्ट… जो बड़ी हसरतों से मुझे देख रही है ..
इसके बिना मै कहीं घूमा ही कहाँ..
दोस्ती ही कुछ यूँ रही थी….पर अब कहाँ पहनूँ इसे?
मै इसके लिए छोटा हो गया हूँ..
एक टाई है..
नजरे चुरा रहा हूँ मै उससे,
सभी कपड़ो के साथ चलती थी ,
पर मैंने नई खरीद ली..
उसने नॉट लगाकर खुदकुशी कर ली,
नई टाई उसके बराबर मे लटकी है..
क्या पहनूँ..?????
मैं किसी पर भी जँचता नहीं..!!!
इतना सब तो है यादों की इस अलमारी में..
पर
पहनने को कुछ नहीं है मेरे पास..!