माँ…माँ…देख ना…ये गज्जु ज़िद कर रहा हैं..कह रहा हैं सकुल नहीं जाएगा..
“मत जा सकुल..रह अनपढ़…कोई लड़की ना देने वाला तुझे
रहियों फिर नाकारा निकम्मा..हूंह”
अंकु ने गज्जु को छोड़ा तो उसकी गर्दन शर्म से अपने आप झुक गई…
माँ अपनी गुड़िया की मासूमियत पर हँस पड़ी..!
आ..तू तो तैयार हो..तुझे तो स्कुल जाना हैं ना..?
पढ़ना हैं..कुछ बनना हैं…नाश्ता तो कर लें..
माँ..ये गज्जु को पिलाओ दूध..कुछ अक्ल आए इसें..!
अंकु ने मुंह चिड़ाया और स्कुल चली गई…
कुछ दिनो बाद फिर कॉलेज..
गज्जु घर ही रहा..!
अंकु आज विदा हो रही हैं..सबकी आँखे नम हैं..
पर गज्जु चुप हैं..गज्जु बोला भी कब था..
अंकु उससे गले लगकर भी रोना चाहती थी..पर अब वो बढ़ी थी..
अंकु चली गई…
गज्जु की गर्दन फिर झुक गई..अंकु ने आज फिर छोड़ दिया था उसे..!!