15 अगस्त का दिन था…खुदा बख्श आज नया डाइनिंग टेबल लेकर आए थें..”डाइनिंग टेबल!!!!….खुशी से चिल्लाते हुए राम और रहीम भागते हुए आए…दोनों टेबल पर बैठें और जोर से चिल्लाए…
माँ…खाना परोस दो…
अम्मी भूख लगी हैं..”
राम और रहीम खुदा-बख्श के बेटे थे..दोनों एक जैसे ही दिखते थे…जहाँ जाते..साथ जाते..!
घर में नया डाइनिंग टेबल आया था…सब लोग एक साथ वहाँ बैठते…देर तक बाते करतें..खाना खातें..
“माँ…ये टेबल कितना सुंदर हैं ना…”
“अम्मी…इसकी कुर्सियां कितनी अच्छी हैं..”
ये सिलसिला कई सालों तक चला…
राम और रहीम के बच्चें बड़े हो गए थें…टेबल पर जगह बहुत थी..पर दिलों में कम हो गई थी..सो अब डाइनिंग टेबल खाली पड़ा रहता..
एक दिन राम के बड़े बेटे ऋषि और रहीम के बड़े बेटे काशिफ ने मिलकर यें फैसला किया कि इतनी कड़वाहट ठीक नहीं…एक घर में रहते हैं तो प्यार से रहना चाहिए..
दादा इस टेबल को 15 अगस्त को लाए थें..सो हर साल इस दिन हम साथ बैठेंगे..और डाइनिंग टेबल पर साथ खाना खाएंगे..!
ये फैसला सभी ने माना…15 अगस्त को सभी लोग साथ बैठतें..खाना खाते..हँसते..देर तक बातें करते..
दिल में जगह बढ़ने लगी थी..!
एक दिन घर के सभी बच्चों ने कहा..” 15 अगस्त ही क्यों..? हमें रोज़ साथ बैठना चाहिए..साथ खाना चाहिए…ये भावना तो रोज़ ही होनी चाहिए..”
कुछ दिन सबने साथ मिलकर खाना खाया…पर फिर सभी लोग..अपने-अपने काम में मशगुल हो गए..फुर्सत ना मिलती साथ बैठने की..!
डाइनिंग टेबल एक शेल्फ सा हो गया था…कुछ ना कुछ सामान पड़ा रहता…!
आज 15 अगस्त हैं…टेबल को साफ कर दिया गया हैं…सभी लोग साथ बैठें हैं…खुब बातें हो रहीं हैं…
राम और रहीम किस्से सुना रहें हैं…कैसे जब दादा इस डाइनिंग टेबल को लाए थें..हम कितना खुश हुए थे…दिन रात मेला सा लगता था…!
सभी बच्चे बहुत खुश थे..
सबने फिर कहा-“15 अगस्त ही क्यों…हमें रोज़ साथ बैठना चाहिए”
#15_अगस्त_मुबारक