दो साल पहले माँ ने नानी को फोन पर विश किया तो नानी ने कहा-“हैं..?मदर डे क्या होता हैं..?”
माँ ने बताया..
नानी हँसी और बोली-
“ओ…तेरा जन्मदिन हैं छोरी…सीधे ना बोल सके हैं..??”
माँ खूब हँसी…मैं भी..
कायदे से ये बात तो सही थी..पर माँ नानी को बताने लगी
मदर्स डे का मतलब..!
क्या समझाया था…मुझे ठीक से याद नहीं…पर काफी देर बात करने के बाद
माँ की आँखे स्वाभाविक रुप से नम थी..।
पिछले साल नानी जब बेड पर थी…माँ के बचपन की अनगिनत बातें बताती…माँ बाते सुनकर बिल्कुल बच्ची ही हो जाती..!!
माँ के सामने जो सहजता आती है वो किसी और के सामने भला कहा…
माँ नानी से बिल्कुल बच्चो की तरह बात करती..”आप..आप ठीक हो जाओगें ना…तो ना आपको इन्नी सारी चॉकलेट्स दिलाएंगे…ओके..?”
और माँ बेटी का बचपन वाला खेल देर तक चलता रहता..!
अच्छा ये देखो..whatsapp पर आपकी नातिन ने क्या डीपी लगा रखी हैं…उसकी शादी की हैं..
नानी देखते हुए बोली
” देख तो कितनी सुंदर लग रही है छोरी…परी होती है जैसे..”
माँ मुस्करा दी…मानो दम भर रही हो।
नानी से मिलने पर जो माँ की मुस्कान होती थी वो मुझे मेरी मुस्कान जैसी लगती है…!
पर आज
माँ के अंदर का बच्चा शायद रो रहा हैं…माँ ने नहीं बताया…मुझे हँसता देख..हँस ही रही हैं..पर आज
मदर्स डे हैं और इस बार माँ फोन नहीं मिलाएंगी..क्योंकि अब बेड पर वहाँ कोई नहीं हैं..!
माँ रोई नहीं..नानी के साथ whatsapp पर डीपी लगा कर बोली,
“देख..कैसी हैं..”
माँ को गले लगाते हुए मैने कहा-
“बहुत सुंदर…परी होती हैं जैसे..!!”